Sunday 9 September 2012

मैं दुआ मांगता हूँ

अपनी पहुँच से दूर, आसमान में टिमटिमाते तारों से जलता हूँ.
और एक टूटते तारे को, आसमान से गिरता देखकर, खुद की सलामती की,
मैं दुआ मांगता हूँ.

बटुए में किसी दुसरे की, खनकते सिक्कों की आवाज़ से जलता हूँ.
और एक खोटे सिक्के को, तालाब में उछाल कर, खुद की तिजोरी भरने की,
मैं दुआ मांगता हूँ.

आँखों में किसी अनजान की, झलकती ख़ुशी से जलता हूँ.
और एक टूटी पलक को, हवा में उड़ाकर, खुद के आंसू पोंछने की,
मैं दुआ मांगता हूँ.

सुनकर खबर किसी अपने की मौत की, उसे मिली मुक्ति से जलता हूँ.
और मृत-शय्या पर रखी राख, माथे पर मल, खुद की लम्बी उम्र की,
मैं दुआ मांगता हूँ.

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